शिक्षक बनने के लिए टेट पास करना होगा अनिवार्य, NCTE ने सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश को जारी किए आदेश
शिक्षा नीति के लागू होते ही शिक्षक बनने के लिए टेट (टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट) पास करना अनिवार्य हो गया है। NCTE ने सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश को आदेश जारी किए है, कक्षा 1 से लेकर 12 तक के शिक्षक बनने के लिए अब टेट अनिवार्य कर दिया गया है। केंद्र सरकार ने नई शिक्षा नीति में यह प्रावधान किया है। स्कूलों में शिक्षक बनने के लिए सिर्फ टेट पास ही आवेदन कर सकेंगे। टेट का आयोजन स्कूल शिक्षा बोर्ड करता है। नई नीति लागू होने के बाद स्कूल शिक्षा बोर्ड का काम बढ़ जाएगा। टेट देने वालों की संख्या बढ़ जाएगी। शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि टेट को अनिवार्य करने से शिक्षा में गुणवत्ता आएगी।
शिक्षक बनने से पहले अभ्यर्थियों को दो परीक्षाएं पास करना जरूरी होगा। समग्र शिक्षा अभियान के परियोजना निदेशालय को डीएलएड के सिलेबस में बदलाव करने के लिए कहा गया है। इनके सिलेबस में प्री प्राइमरी, आईटी, संस्कृत और वोकेशनल शिक्षा से संबंधित पढ़ाई भी शामिल की जाएगी। सरकार का तर्क है कि तीसरी कक्षा से संस्कृत शुरू होने और छठी कक्षा से वोकेशनल और आईटी शिक्षा शुरू होने पर शिक्षकों की पढ़ाई में भी बदलाव करना जरूरी है। शिक्षा सचिव राजीव शर्मा से आदेश प्राप्त होने के बाद समग्र शिक्षा अभियान के निदेशालय ने सिलेबस में बदलाव करने की कवायद शुरू कर दी है।
एक बार पास हुई अध्यापक पात्रता परीक्षा उम्र भर के लिए मान्य रहेगी। नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजूकेशन ने शिक्षक पात्रता परीक्षा में बड़ा बदलाव कर दिया है। अभी तक सात वर्ष के लिए ही टेट पास उम्मीदवार नौकरी के लिए पात्र थे। केंद्र सरकार से मिली छूट के बाद अब बार-बार टेट पास नहीं करना पड़ेगा। केंद्र सरकार ने शिक्षक पात्रता परीक्षा (टेट) को उम्रभर के लिए मान्य कर दिया है।
सरकारी स्कूलों में शिक्षक बनने के लिए टेट पास करना अनिवार्य है। अब तक एक बार परीक्षा पास करने से सर्टिफिकेट के आधार पर सात साल के अंदर सरकारी नौकरी के लिए आवेदन कर सकते थे। अब नए नियम के तहत एक बार परीक्षा पास करने पर उम्रभर के लिए पात्रता मिलेगी। सरकार के इस फैसले का सबसे अधिक लाभ महिलाओं को होगा। दरअसल, शादी और बच्चों के चलते वे नौकरी छोड़ देती थीं। अब दोबारा आसानी से नौकरी पा सकेंगी।